Verse: 2,36
मूल श्लोक :
अवाच्यवादांश्च बहून् वदिष्यन्ति तवाहिताः।निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं ततो दुःखतरं नु किम्।।2.36।।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।2.36।।तेरे शत्रुलोग तेरी सार्मथ्यकी निन्दा करते हुए न कहनेयोग्य बहुतसे वचन कहेंगे। उससे बढ़कर और दुःखकी बात क्या होगी
।।2.36।। यह देखकर कि अर्जुन के मन में इन तर्कों का अनुकूल प्रभाव पड़ रहा है श्रीकृष्ण उसको युद्ध से पलायन करने में जो दोष हैं उन्हें और अधिक स्पष्ट करके दिखाते हैं। लोकनिन्दा युद्ध से पलायन का आरोप इतिहास में अपकीर्ति इनसे बढ़कर एक सम्मानित व्यक्ति के लिये और अधिक दुख क्या हो सकता है
English Translation By Swami Sivananda
2.36 Thy enemies also, cavilling at thy power, will speak many abusive words. What is more painful than this?