Verse: 14,11
मूल श्लोक :
सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्प्रकाश उपजायते।ज्ञानं यदा तदा विद्याद्विवृद्धं सत्त्वमित्युत।।14.11।।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।14.11।।जब इस मनुष्यशरीरमें सब द्वारों(इन्द्रियों और अन्तःकरण) में प्रकाश (स्वच्छता) और ज्ञान (विवेक) प्रकट हो जाता है? तब जानना चाहिये कि सत्त्वगुण बढ़ा हुआ है।
।।14.11।। सर्वप्रथम? सत्त्वगुण की प्रवृद्धि होने पर उत्पन्न होने वाले लक्षणों का बोध यहाँ कराया गया है। इसके अगले दो श्लोकों में क्रमश रज और तम की विवृद्ध स्थिति का वर्णन किया गया है।जब इस देह के समस्त द्वारों मे प्रकाश उत्पन्न होता है हमें बाह्य जगत् का ज्ञान पंच ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा होता है। स्थूल शरीर में इन इन्द्रियों के निवास स्थानों को गोलक कहते हैं। इन इन्द्रियों के माध्यम से चैतन्य का प्रकाश? मानों? बाहर जाकर जगत् की विविध वस्तुओं को प्रकाशित करता है। इस प्रकार हम अपनी श्रोत्र नेत्रादि इन्द्रियों के द्वारा शब्दरूपादि विषयों को प्रकाशित करते हैं? अर्थात् उनका बोध प्राप्त करते हैं।इस प्रकार? शीर्ष भाग में स्थित सात गोलकों में से ज्ञानाग्नि (आत्मा) की सात ज्वालायें फूटकर बाहर निकलती हैं प्रत्येक ज्वाला एक ही वस्तु विशेष को प्रकाशित करती है। जब इस स्थिति में हमें वस्तुओं का यथार्थ बोध होता है तो सत्त्वगुण को प्रवृद्ध हुआ समझना चाहिये। यदि उस समय रज और तम बढ़ते हैं? तो हमारा यथार्थ विषय ग्रहण अवरुद्ध हो जाता है।यदि रजोगुण से मन क्षुब्ध हो और तमोगुण से बुद्धि आच्छादित हो गई हो? तो हमें सामान्य लौकिक ज्ञान भी प्राप्त करना कठिन हो जाता है। अत इन दो गुणों की मात्रा जितनी कम होगी? हमारी निरीक्षण? विश्लेषण और समझने की बौद्धिक क्षमता उतनी ही अधिक होगी।यह पूर्व में भी बताया जा चुका है कि चैतन्यस्वरूप आत्मा बुद्धि के माध्यम पर प्रतिबिम्बित होकर बुद्धि के प्रकाश द्वारा जगत् की वस्तुओं तथा आन्तरिक मनोवृत्तियों को प्रकाशित करता है। वह सीधे ही उन्हें प्रकाशित नहीं करता। सूर्य का प्रकाश भी दीवारों पर परावर्तित होकर ही कमरे को प्रकाशित करता है।यह सुविदित तथ्य है कि परावर्तन के माध्यम के स्वच्छ और स्थित होने पर प्रतिबिम्ब स्पष्ट होता है? अन्यथा नहीं। रजोगुणजन्य विक्षेपों से बुद्धि मे अस्थिरता आती है तो तमोगुणजन्य आवरण से अशुद्धि। अत इन दोनों का आधिक्य होने पर बुद्धि का प्रकाश मन्द पड़ना स्वाभाविक ही है। इसलिए? भगवान् का यह कथन शुद्ध वैज्ञानिक है कि वस्तुओं के यथार्थ ज्ञान होने के समय अन्तकरण में सत्त्वगुण प्रवृद्ध होता है।प्रवृद्ध रजोगुण का लक्षण निम्न प्रकार से है
English Translation By Swami Sivananda
14.11 When through every gate (sense) in this body, the wisdom-light shines, then it may be known that Sattva is predominant.