Verse: 11,10
मूल श्लोक :
अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम्।अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्।।11.10।।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।11.10।।जिसके अनेक मुख और नेत्र हैं? अनेक तहरके अद्भुत दर्शन हैं? अनेक दिव्य आभूषण हैं और हाथोंमें उठाये हुए अनेक दिव्य आयुध हैं तथा जिनके गलेमें दिव्य मालाएँ हैं? जो दिव्य वस्त्र पहने हुए हैं? जिनके ललाट तथा शरीरपर दिव्य चन्दन आदि लगा हुआ है? ऐसे सम्पूर्ण आश्चर्यमय? अनन्तरूपवाले तथा चारों तरफ मुखवाले देव(अपने दिव्य स्वरूप) को भगवान्ने दिखाया।
।।11.10।। See commentary under 11.11
English Translation By Swami Sivananda
11.10 With numerous mouths and eyes, with numerous wonderful sights, with numerous divine ornaments, with numerous divine weapons uplifted (such a form He showed).