Verse: 1,19
मूल श्लोक :
स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्।नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्।।1.19।।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।1.19।।पाण्डवसेनाके शंखोंके उस भयंकर शब्दने आकाश और पृथ्वीको भी गुँजाते हुए अन्यायपूर्वक राज्य हड़पनेवाले दुर्योधन आदिके हृदय विदीर्ण कर दिये।
।।1.19।। 14वें श्लोक से संजय पाण्डवों की सेना का विस्तृत वर्णन करता है। उसका यह विशेष प्रयास है कि किसी प्रकार धृतराष्ट्र पाण्डव सेना की श्रेष्ठता समझ सकें और युद्ध के विनाशकारी परिणामों को समझ कर इस भ्रातृहन्ता युद्ध को रोकने का आदेश भेजें।
English Translation By Swami Sivananda
1.19. That tumultuous sound rent the hearts of (the members of)
Dhritarashtra's party, making both the heaven and the earth resound.