Verse: 1,11
मूल श्लोक :
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि।।1.11।।
Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।1.11।।आप सबकेसब लोग सभी मोर्चोंपर अपनीअपनी जगह दृढ़तासे स्थित रहते हुए ही पितामह भीष्मकी चारों ओरसे रक्षा करें।
।।1.11।। इतने समय निरन्तर अकेले ही बोलने और उभय पक्ष की सार्मथ्य को तौलने के पश्चात युद्धतत्पर दुर्योधन में स्थित राजा अपने मन की सघन निराशा के मेघखण्डों को भेदकर सेना को आदेश देना प्रारम्भ करता है। उसका आदेश है कि सभी योद्धा एवं नायक स्वस्थान पर रहकर अनुशासनपूर्वक युद्ध करें और साथ ही भीष्म पितामह को सुरक्षित रखने का प्रयत्न करें। उसे इस बात की आशंका है कि सुदूर राज्यों से आये हुये राजा एवं जनजातियों के नायक यदि इधरउधर बिखर गये तो विजय मिलना कठिन है। संगठित रूप से सब मोर्चों पर एक ही समय आक्रमण करना किसी भी सेना की सफलता का मेरुदण्ड है। इसलिये एक सही प्रकार की रणनीति अपनाते हुये वह सबको आदेश देता है कि विभिन्न स्थानों पर रहते हुये भी सब भीष्माचार्य का रक्षण करें।
English Translation By Swami Sivananda
1.11. "Therefore do ye all, stationed in your respective positions,
in the several divisions of the army, protect Bhishma alone."